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Showing posts from 2018

उत्पत्ति जन्म

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🙏 सुप्रभात, आज मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष दशमी सोमवार दिनांक ३१. १२.२०१९  🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉   श्रीहरि के नाभि कमल से ब्रह्मा और शिव की उत्पत्ति श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है:  #मृत्युः_सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च_भविष्यताम्। #कीर्तिः_श्रीर्वाक्च_नारीणां_स्मृतिर्मेधा_धृतिः_क्षमा॥ (भ ग १०/३४) अर्थात् : मैं सर्वभक्षक मृत्यु और भविष्य में होने वालों की उत्पत्ति का कारण हूँ स्त्रियों में कीर्ति, श्री, वाक (वाणी), स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा हूँ। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते है की :  #उद्भवश्च_भविष्यताम्। भविष्य में होने वालों की उत्पत्ति का कारण मैं ही हूँ। #उत्पत्ति याने जन्म, पैदाइश, प्रादुर्भाव, उद्भव, उदय, उद्गम, प्रसूति, अभ्युत्थान। सामान्यतः हमारे जन्म  से मृत्यु  के बीच की अवधि ही जीवन कहलाती है। लेकिन  सनातन वैदिक संस्कृति अनुसार जीवन केवल एक जन्म और मृत्युके बीच की अवधि नही है; किंतु जन्मजन्मांतर के संपूर्ण अध्याय को जीवन माना जाता है। यह बात श्रीमद्भगवद्गीता के शाश्वत सिध्दांत से समज सकते है :

मृत्यु

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🙏 सुप्रभात, आज मार्गशीर्ष शुक्ल नवमी रविवार दिनांक ३०.१२.२०१८ 🙏  🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉     महाकाल श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है:  #मृत्युः_सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च_भविष्यताम्। #कीर्तिः_श्रीर्वाक्च_नारीणां_स्मृतिर्मेधा_धृतिः_क्षमा॥ (भ ग १०/३४) अर्थात् : मैं सर्वभक्षक मृत्यु और भविष्य में होने वालों की उत्पत्ति का कारण हूँ स्त्रियों में कीर्ति, श्री, वाक (वाणी), स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा हूँ। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते है की : #मृत्युः_सर्वहरश्चाहम् #सर्वनाशक_मृत्यु_मैं_ही_हुं। ★ जगत में सबसे अधिक भयावह बात है तो वह है मृत्यु !!! •लेकिन स्वयं भगवान जब कहते है कि सबका नाश करने वाली #सर्वहर_मृत्युः मैं हूँ। जब मृत्यु भगवान है तो फिर भगवान से डर कैसा ??? लेकिन फिर भी भय तो लगता ही हैं। तो प्रभु ! हमेंने या तो आपके यह ' शब्द ' ही नहीं सुनें हैं और सुने हैं तो इन शब्दों पर विश्वास नहीं है। जब हम तुम्हारे शब्दों पर ही विश्वास न करें तब हमारा कैसा वैराग्य और कैसी भक्ति ?  मृत्यु अमंगल नही #मंगल_घटना

धाताऽहं विश्वतोमुखः

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🙏 सुप्रभात, आज मार्गशीर्ष शुक्ल अष्टमी शनिवार दिनांक २९.१२.२०१८ 🙏  🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    श्रीमद्भगवद्गीता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है:  # अक्षराणामकारोऽस्मि_द्वन्द्वः_सामासिकस्य_च। #अहमेवाक्षयः_कालो_धाताऽहं_विश्वतोमुखः॥ (भ ग १०/३३) अर्थात्।: मैं अक्षरों (वर्णमाला) में अ कार और समासों में द्वन्द्व (नामक समास) हूँ मैं अक्षय काल अर्थात् कालका भी महाकाल तथा सब ओर मुखवाला विश्वतोमुख (विराट् स्वरूप) धाता हूँ भी मैं हूँ।  श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते है की : #धाताऽहं_विश्वतोमुखः सब ओर मुखवाला विश्वतोमुख (विराट् स्वरूप) विधाता भी मैं हूँ।  विश्वरूप अथवा विराट रूप भगवान योगेश्वर कृष्ण  का सार्वभौमिक स्वरूप है। इस रूप का प्रचलित कथा भगवद्गीता  के अध्याय ११ पर है, जिसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को  कुरुक्षेत्र युद्ध में विश्वरूप दर्शन कराते हैं। इसके संदर्भ में वेदव्यास  कृत  महाभारत ग्रंथ प्रचलित है। परंतु विश्वरूप दर्शन राजा बलि आदि ने भी किया है। विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना.... भगवान से गीता मे गूढ़ अध्य

महाकाल

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🙏 सुप्रभात, आज मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी शुक्रवार दिनांक २८.१२.२०१८ 🙏  🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है:  #अक्षराणामकारोऽस्मि_द्वन्द्वः_सामासिकस्य_च। #अहमेवाक्षयः_कालो_धाताऽहं_विश्वतोमुखः॥ ( भ ग १०/३३) अर्थात्।: मैं अक्षरों (वर्णमाला) में अकार और समासों में द्वन्द्व (नामक समास) हूँ मैं अक्षय काल अर्थात् कालका भी महाकाल तथा सब ओर मुखवाला विश्वतोमुख (विराट् स्वरूप) धाता हूँ भी मैं हूँ।  श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते है की : #अहमेवाक्षयः_कालो मैं #कालो_में_महाकाल हुँ। मैं #अविनाशी_काल हुं। मैं #सनातन, #शाश्वत, #अनादि, #अनंत और #नित्य काल अर्थात् समय हुं।       #काल अनादि (UNKNOWN BEGINNING) और अनंत (ENDLESS, INFINITE) है। सृष्टि के आरंभ से भी पहले था और विनाश के बाद भी रहेगा।     काल क्या होता है :- काल का अर्थ होता है – समय, अवसर, अवधि। क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने के समय का पता चले उसे काल कहते हैं। समय कीमती है और हर किसी के लिए अमूल्य है, इसलिए हमें कभी समय बर्बाद नहीं करन

द्वन्द्वः_सामासिकस्य

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🙏 सुप्रभात, आज मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष पंचमी गुरुवार दिनांक २७.१२.२०१८ 🙏  🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉     राधेश्याम श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है:  #अक्षराणामकारोऽस्मि_द्वन्द्वः_सामासिकस्य च। #अहमेवाक्षयः_कालो_धाताऽहं_विश्वतोमुखः॥ (भ ग १०/३३) अर्थात्।: मैं अक्षरों (वर्णमाला) में अकार और समासों में द्वन्द्व (नामक समास) हूँ मैं अक्षय काल अर्थात् कालका भी महाकाल तथा सब ओर मुखवाला विश्वतोमुख (विराट् स्वरूप) धाता हूँ भी मैं हूँ।  श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते है की :# द्वन्द्वः_सामासिकस्य च अर्थात समासों में द्वन्द्व नामक समास मैं हूँ। समास का तात्पर्य है #संक्षिप्तीकरण। दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। जैसे #राधा_कृष्ण, #सीता_राम #नील_कंठ, #पाप_पुण्य, #अन्न_जल, #ऊँच_नीच इत्यादि। व्यवहारिक रूप से समजे तो जैसे ' रसोई के लिए घर’ इसे हम #रसोई_घर भी कह सकते हैं।  #द्वंद्व_समास (अंग्रेज़ी: Copulative Compound) जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर &#

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🙏 सुप्रभात, आज मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष चतुर्थी बुधवार दिनांक २६.१२.२०१८ 🙏  🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉     श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है:  #अक्षराणामकारोऽस्मि_द्वन्द्वः_सामासिकस्य_च। #अहमेवाक्षयः_कालो_धाताऽहं_विश्वतोमुखः॥ ( भ ग १०/३३) अर्थात् : मैं अक्षरों (वर्णमाला) में अकार और समासों में द्वन्द्व (नामक समास) हूँ मैं अक्षय काल अर्थात् कालका भी महाकाल तथा सब ओर मुखवाला विश्वतोमुख (विराट् स्वरूप) धाता हूँ भी मैं हूँ।  श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते है की : #अक्षराणामकारोऽस्मि अर्थात अक्षर में 'अ' कार मैं ही हूँ।  #ॐकार  ॐ, ओ३म्, ओंकार को प्रणव या उदिग्थ कहा जाता है। यह ईश्वर का वाचक है। ॐकार परब्रह्म का प्रतीक है। ब्रह्मविद्या का समग्र अर्थ ॐकार में संकलित हुआ है। इसलिये तीन मात्राओं से समग्र सृष्टि को जो अपने में समा।लेता है और शेष बची हुई आधी मात्रा से सृष्टिकर्ता को जो अपने मे समाविष्ट कर लेता है। ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है - यह ब्रह्मा, विष

Sex Educational

#शारिरिक_संबंध_SEX      #अभ्यासार्थ         #Educational आज के युवाओं के #शारिरीक_संबंध_SEX संबंधित ज्वलंत सामाजिक प्रश्न    •#क्या_शारिरीक_संबंध_बनाने_के_लिये_विवाह_करना_जरूरी_है ?  •#क्या_विवाहपूर्व_शारिरिक_संबंध_SEX_उच्चित_है ? •#क्या_विवाह_आजीवन_होना_चाहिए ? वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित युवा पीढ़ी के ऐसे ज्वलंत, #निर्भीक #Bold प्रश्न का #सद्गुरु से #मनोवैज्ञानिक, #शरीरविज्ञान ओर #सांस्कृतिक् दृष्टि से जवाब सुनिये। न्यू दिल्ली की हर समय विवादों में रहनेवाली #JNU #जवाहरलाल_नेहरू_विश्वविद्यालय_Campus में #शोधछात्रों #PHD_Students के सवालों के जवाब  #ईशा_फाउंडेशन_कोयम्बतूर_तमिलनाडु के आध्यात्मिक गुरु #सद्गुरु_जग्गी_वासुदेव से सुनिये। यह विषय अपनेआप में Bold है हमारे समाजो में खुल्ले में इस तरह के विषयों पर सामाजिक चर्चाएं निषेधज्ञ या तिरष्कृत मानी जाती है। लेकिन इसे वर्तमान समस्या के समाधान के रुप से देखें अन्यथा न ले। विशेष कर आपके किशोरावस्था के युवाओं और विद्यार्थियों को यह VDO clip #विशेष रूप से दिखाये और शक्य होतो इस विषय पर उ

शास्त्रार्थ - वाद

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🙏 सुप्रभात, आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष द्वितीया सोमवार दिनांक २४.१२.२०१८ 🙏  🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉     जगद्गुरू आद्य शंकराचार्य के साथ तत्कालीन मिथिला नगरी के विद्वान पंडित मंडनमिश्र के साथ शास्त्रार्थ में निर्णायक की भूमिका में मंडनमिश्र की पत्नी शारदा। श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है:  #सर्गाणामादिरन्तश्च_मध्यं_चैवाहमर्जुन। #अध्यात्मविद्या_विद्यानां_वादः_प्रवदतामहम्॥ (भ ग १०/३२) अर्थात् हे अर्जुन ! सृष्टियोंका आदि, अन्त और मध्य अर्थात् उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय मैं हूँ। समस्त विद्याओं में जो कि मोक्ष देनेवाली होनेके कारण प्रधान है वह अध्यात्मविद्या मैं हूँ। और परस्पर शास्त्रार्थ करनेवालोंका (तत्त्व निर्णयके लिये किया जानेवाला) वाद मैं हूँ। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते है की :#वादः_प्रवदतामहम् परस्पर शास्त्रार्थ करनेवालोंका (तत्त्व निर्णयके लिये किया जानेवाला) वाद मैं हूँ। प्राचीन भारत  में दार्शनिक  एवं धार्मिक  वाद-विवाद, चर्चा या प्रश्नोत्तर को शास्त्रार्थ  (शास्त्र+अर्थ) कहते थे। इसमें दो या अधिक व्यक्ति

आत्मविद्या ' नचिकेता '

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🙏 सुप्रभात, आज मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष प्रथमा शनिवार दिनांक २३.१२.२०१८ 🙏  🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    नचिकेता यमराज के द्वार पर आत्मविद्या के लिये प्रतीक्षा करते हुए श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है:  #सर्गाणामादिरन्तश्च_मध्यं_चैवाहमर्जुन। #अध्यात्मविद्या_विद्यानां_वादः_प्रवदतामहम्॥ (भ ग १०/३२) अर्थात् हे अर्जुन ! सृष्टियोंका आदि, अन्त और मध्य अर्थात् उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय मैं हूँ। समस्त विद्याओं में जो कि मोक्ष देनेवाली होनेके कारण प्रधान है वह अध्यात्मविद्या मैं हूँ। और परस्पर शास्त्रार्थ करनेवालोंका (तत्त्व निर्णयके लिये किया जानेवाला) वाद मैं हूँ। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते है की :#अध्यात्मविद्या_विद्यानां समस्त विद्याओं में जो कि मोक्ष देनेवाली होनेके कारण प्रधान है वह अध्यात्मविद्या मैं हूँ। #आत्मविद्या : कठोपनिषद में #नचिकेता की कहानी आती है, कथा इस प्रकार है कि किसी समय #वाजश्रवा ऋषि के पुत्र #वाजश्रवस_उद्दालक मुनि ने #विश्वजित_यज्ञ करके सर्वदक्षिणा दान का संकल्प कर अपना सम्पूर्ण धन और गौएं दान कर दीं। जिस स

26 दिसंबर हो "बाल दिवस"

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26 दिसंबर हो "बाल दिवस" सिखों के दसवें गुरु, गुरू गोबिंद सिंह के चार पुत्र थे दो पुत्रों को चमकौर के युद्द में मुगलों ने धोखे से मारा  तीसरा पुत्र – साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह,  जन्म -17 नवंबर 1696, उम्र- 9 साल  चौथा पुत्र – साहिबज़ादा फतेह सिंह , जन्म- 12 दिसंबर 1699, उम्र – 6 साल  वज़ीर खान ने दोनों को इस्लाम न कुबूल करने पर दिवार में ज़िंदा चिनवा दिया ।  26 दिसंबर 1705 में दोनों शहीद हुए। शौर्य और साहस का भारत के इतिहास में इससे बड़ा उदाहरण नही,  इसलिए हो !  26 दिसंबर ‘बाल दिवस’ वंदे मातरम्  भारत माता कि जय। चिड़ियन ते मैं बाज तड़ाऊं, गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ, सवा लाख से एक लड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं  - गुरु गोबिंद सिंह 🏵 द शम गुरु गोबिन्द सिंह 🏵 ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ वाहे गुरु जी दा खालसा, वाहे गुरु जी दी फतेह। केवल सिखों के ही नही हमारे हिंदुधर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर देंने वाले दसवें गुरु गोबिन्द सिंह आज जन्मदिन है। (जन्म: २२ दिसम्बर १६६६, मृत्यु: ७ अक्टूबर १७०८) उनके जन्मदिन पर उन्हें भावपू