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Showing posts from September, 2018

₹₹₹₹₹₹₹₹₹पिया बोलता है।

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₹₹₹₹₹₹₹₹₹पिया बोलता है। सुनकर आपको आनंद आएगा भारतीय मुद्रा (रुपया ₹) से जुड़े 34 ग़ज़ब रोचक तथ्य 1. भारत में करंसी का इतिहास 2500 साल पुराना हैं। इसकी शुरूआत एक राजा द्वारा की गई थी। 2. अगर आपके पास आधे से ज्यादा (51 फीसदी) फटा हुआ नोट है तो भी आप बैंक में जाकर उसे बदल सकते हैं। 3. बात सन् 1917 की हैं, जब 1₹ रुपया 13$ डाॅलर के बराबर हां आप ने सही सुना 1₹ 13 $ डॉलर के बराबर हुआ करता था। फिर 1947 में भारत आजाद हुआ, 1₹ = 1$ कर दिया गया। फिर धीरे-धीरे भारत पर कर्ज बढ़ने लगा तो इंदिरा गांधी ने कर्ज चुकाने के लिए रूपये की कीमत कम करने का फैसला लिया उसके बाद आज तक रूपये की कीमत घटती आ रही हैं। 4. अगर अंग्रेजों का बस चलता तो आज भारत की करंसी पाउंड होती। लेकिन रुपए की मजबूती के कारण ऐसा संभव नही हुआ। 5. इस समय भी भारत में नकली नोट चलन में हैं। 6. सुरक्षा कारणों की वजह से आपको नोट के सीरियल नंबर में I, J, O, X, Y, Z अक्षर नही मिलेंगे। 7. हर भारतीय नोट पर किसी न किसी चीज की फोटो छपी होती हैं जैसे - 20 रुपए के नोट पर अंडमान आइलैंड की तस्वीर है। वहीं, 10

श्री गणेश दर्शन

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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:।  निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ विश्व के विविध देशों में भारतीय संस्कृति के अलावा अन्य संस्कृति में विघ्नहर्ता गणपति को अलग अलग नाम एवं विविध स्वरूपमें निर्विवादित भाव से पूजा जाता है। आज गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर हम श्री गणेश के गजानन स्वरूप का तात्विक भावपूजन करने का नम्र प्रयास करेंगे। कोई माँ अपने पुत्र का रूप नही चाहती होंगी ऐसा श्री गणेशजी का स्वरूप है। फिर भी हमारे दीर्घद्रष्टा ऋषिमुनियों ने प्रत्येक मांगलिक कार्य मे सर्वप्रथम गणपति पूजन का आग्रह रखा है। गणपति की मूर्ति न भी हो तो सुपारी के रूपः मे श्रीफल को प्रस्थापित कर मांगलिक कार्य का श्रीगणेश किया जाता है। पौराणिक कथा सर्वविदित है की : देवाधिदेव महादेवको अपने ही निवास स्थान के अंदर प्रवेश करते रोकने पर, अनजाने क्रोधावेश में शिवजीने बालक गणेश का शिरच्छेदन कर दिया था। बादमे माँ पार्वती के वास्तविक कथन के पश्चात शिवजी ने अपने गणों को आदेश देकर जो भी प्रथम प्राणी मिले उसे मारकर उसका शिरच्छेदन कर लाने की आज्ञा देकर, लाये हुए गजानन (हाथी) का मस्तक बाल गणेशके

श्री कृष्ण जीवन दर्शन

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॥ श्री कृष्ण जीवन दर्शन ॥ 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 🕉 जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वतः। त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन॥  (भ ग २/९) (भावार्थ : हे अर्जुन ! मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं- इस प्रकार जो तत्त्वसे जान लेता है, वह शरीर छोडनेके पश्चात् जन्मको प्राप्त नहीं होता, किंतु मुझे ही प्राप्त होता है।) सर्व अवतार अवतारी भगवान श्री कृष्ण का जन्म और कर्म की दिव्यता तो कोई विरला-अधिकारी पुरुष ही, किसी सिद्ध आचार्य गुरुका शिष्यत्व स्वीकृत कर साधना मार्ग पर चलकर ज्ञानोपार्जन से ही प्राप्त कर सकता है। आज हम श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर श्रीहरि विष्णु भगवानके पूर्णपुरषोत्तम अवतारी श्रीकृष्ण भगवान के जन्म कर्म का तत्वज्ञान जो आज भी प्रासंगिक है उसका चिंतन कर उनके कर्मयोग को समजने का नम्र प्रयास करेंगे। श्री कृष्णाष्टमी को प्रत्येक वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का जन्म-महोत्सव संपूर्ण विश्व में हम सभी भक्त श्रद्धा और उमंग के साथ मनाएँगे।सम्पूर्ण विश्व में कहीं भक्त लोग व्रत उपवास आदि का पालन करेंगे, कहीं भगवान कृष्ण की लीलाओं को प्रदर्शित करती आकर्षक झा