उत्पत्ति जन्म
🙏 सुप्रभात, आज मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष दशमी सोमवार दिनांक ३१. १२.२०१९ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉 श्रीहरि के नाभि कमल से ब्रह्मा और शिव की उत्पत्ति श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है: #मृत्युः_सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च_भविष्यताम्। #कीर्तिः_श्रीर्वाक्च_नारीणां_स्मृतिर्मेधा_धृतिः_क्षमा॥ (भ ग १०/३४) अर्थात् : मैं सर्वभक्षक मृत्यु और भविष्य में होने वालों की उत्पत्ति का कारण हूँ स्त्रियों में कीर्ति, श्री, वाक (वाणी), स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा हूँ। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते है की : #उद्भवश्च_भविष्यताम्। भविष्य में होने वालों की उत्पत्ति का कारण मैं ही हूँ। #उत्पत्ति याने जन्म, पैदाइश, प्रादुर्भाव, उद्भव, उदय, उद्गम, प्रसूति, अभ्युत्थान। सामान्यतः हमारे जन्म से मृत्यु के बीच की अवधि ही जीवन कहलाती है। लेकिन सनातन वैदिक संस्कृति अनुसार जीवन केवल एक जन्म और मृत्युके बीच की अवधि नही है; किंतु जन्मजन्मांतर के संपूर्ण अध्याय को जीवन माना जाता है। यह बात श्रीमद्भगवद्गीता के शाश्वत सिध्दांत से समज सकते है :