स्थावराणं हिमालय
🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक कृष्ण षष्ठी बुधवार दिनांक २८.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉 परम_रम्य_गिरवरू_कैलासू_सदा_जहां_शिव_उमा_निवासू ॥🕉 पर्वत॥ परम_रम्य_गिरवरू_कैलासू_सदा_जहां_शिव_उमा_निवासू श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है: #महर्षीणां_भृगुरहं_गिरामस्म्येकमक्षरम्। #यज्ञानां_जपयज्ञोऽस्मि_स्थावराणां_हिमालयः॥ (भ ग १०/२५) अर्थात् : मैं महर्षियों में भृगु और वाणी (शब्दों) में एकाक्षर ओंकार हूँ। मैं यज्ञों में जपयज्ञ और स्थावरों (अचलों) में हिमालय हूँ। श्रीमद्भगवगिता में भगवान कहते है कि #स्थावराणां_हिमालयः मैं स्थावरों (अचलों) में हिमालय हूँ। #नगाधिराज_हिमालय हिमालय संस्कृत के दो शब्दों -#हिम तथा #आलय से मिल कर बना है, जिसका शब्दार्थ बर्फ का घर होता है। यह ध्रुवीय क्षेत्रों के बाद पृथ्वी पर सबसे बड़ा हिमआवरण वाला क्षेत्र है। हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों - महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना