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Showing posts from November, 2018

स्थावराणं हिमालय

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🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक कृष्ण षष्ठी बुधवार दिनांक २८.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉   परम_रम्य_गिरवरू_कैलासू_सदा_जहां_शिव_उमा_निवासू ॥🕉 पर्वत॥ परम_रम्य_गिरवरू_कैलासू_सदा_जहां_शिव_उमा_निवासू     श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है: #महर्षीणां_भृगुरहं_गिरामस्म्येकमक्षरम्। #यज्ञानां_जपयज्ञोऽस्मि_स्थावराणां_हिमालयः॥ (भ ग १०/२५) अर्थात् :  मैं महर्षियों में भृगु और वाणी (शब्दों) में एकाक्षर ओंकार हूँ। मैं यज्ञों में जपयज्ञ और स्थावरों (अचलों) में हिमालय हूँ। श्रीमद्भगवगिता में भगवान कहते है कि #स्थावराणां_हिमालयः मैं स्थावरों (अचलों) में हिमालय हूँ। #नगाधिराज_हिमालय हिमालय संस्कृत के दो शब्दों -#हिम तथा #आलय से मिल कर बना है, जिसका शब्दार्थ बर्फ का घर होता है। यह ध्रुवीय क्षेत्रों के बाद पृथ्वी पर सबसे बड़ा हिमआवरण वाला क्षेत्र है। हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों - महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना

नामजप जपयज्ञ

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक कृष्ण पंचमी मंगलवार दिनांक २७.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है: #महर्षीणां_भृगुरहं_गिरामस्म्येकमक्षरम्। #यज्ञानां_जपयज्ञोऽस्मि_स्थावराणां_हिमालयः॥ (भ ग १०/२५) अर्थात् :  मैं महर्षियों में भृगु और वाणी (शब्दों) में एकाक्षर ओंकार हूँ। मैं यज्ञों में जपयज्ञ और स्थावरों (अचलों) में हिमालय हूँ। श्रीमद्भगवगिता में भगवान कहते है कि : #यज्ञानां_जपयज्ञोऽस्मि मैं यज्ञों में जपयज्ञ हूँ। भगवान ने नामजप को बहोत महत्व दिया है। उसे ही जपयज्ञ कहा गया है। इस यज्ञ का द्रव्य क्या है ? वाणी के द्वारा पुनः पुनः उच्चारण किया जाने वाला " मंत्र " या कोई श्री सच्चिदानन्द परमात्मा का नाम ' जपयज्ञ ' है। #जकारो_जन्मविच्छेद_पकारो_पापनाशन:। #जन्मकर्महरो_यस्मात्_तस्माज्जप_इति_स्मृत:॥ ' ज ' कार याने जन्ममृत्यु के फेरे से मुक्ति, ' प ' कार याने सर्व पापों का नाश। अर्थात जो साधक को जन्ममृत्यु की जंजाल से मुक्त करता है वह ' जप '। वाणी के द्वारा पुनः पुनः उच्

महर्षि भृगु

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक कृष्ण तृतीया सोमवार दिनांक २६.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है: #महर्षीणां_भृगुरहं_गिरामस्म्येकमक्षरम्। #यज्ञानां_जपयज्ञोऽस्मि_स्थावराणां_हिमालयः॥ (भ ग १०/२५) अर्थात् :  मैं महर्षियों में भृगु और वाणी (शब्दों) में एकाक्षर ओंकार हूँ। मैं यज्ञों में जपयज्ञ और स्थावरों (अचलों) में हिमालय हूँ। श्रीमद्भगवगिता में भगवान कहते है कि #महर्षीणां_भृगुरहं मैं  मैं महर्षियों में भृगुऋषि हूँ। #महर्षि_भृगु : भार्गववंश के मूलपुरुष महर्षि भृगु जिनको जनसामान्य ॠचाओं के रचईता एक ॠषि, भृगुसंहिता के रचनाकार, यज्ञों मे ब्रह्मा बनने वाले ब्राह्मण और त्रिदेवों की परीक्षा में भगवान विष्णु की छाती पर लात मारने वाले मुनि के नाते जाना जाता है। ऐतिहासिक ग्रन्थों के आधार पर महर्षि भृगु का जन्म ५५०० ईसा पूर्व ब्रह्मलोक - सुषा नगर (वर्तमान ईरान) में हुआ था। इनके परदादा का नाम मरीचि ऋषि था। दादाजी का नाम कश्यप ऋषि, दादी का नाम अदिति था। इनके पिता प्रचेता - विधाता जो ब्रह्मलोक के राजा बनने के बाद प्र

सागर

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक कृष्ण द्वितीया रविवार दिनांक २५.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है: #पुरोधसां_च_मुख्यं_मां_विद्धि_पार्थ_बृहस्पतिम्। #सेनानीनामहं_स्कन्दः_सरसामस्मि_सागरः॥ (भ ग१०/२४) अर्थात् : हे पार्थ ! पुरोहितोंमें यानी राजपुरोहितोंमें तू मुझे प्रधान पुरोहित बृहस्पति समझ क्योंकि वे ही इन्द्रके मुख्य पुरोहित हैं। सेनापतियोंमें मैं देवोंका सेनापति कार्तिकेय हूँ तथा सरोवरोंमें अर्थात् जो देवनिर्मित सरोवर हैं उनमें समुद्र हूँ। श्रीमद्भगवगिता में भगवान कहते है #सरसामस्मि_सागरः सरोवरोंमें अर्थात् जो देवनिर्मित सरोवर हैं उनमें #सागर_समुद्र मैं हूँ। पृथ्वी  की सतह के 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में फैला, सागर, खारे  पानी का एक सतत निकाय है। पृथ्वी पर जलवायु  को संयमित करने, भोजन  और ऑक्सीजन  प्रदान करने, जैव विविधता  को बनाये रखने और परिवहन  के क्षेत्र में सागर अत्यावश्यक भूमिका निभाते हैं। प्राचीन काल से लोग सागर की यात्रा करने और इसके रहस्यों को जानने की कोशिश में लगे रहे हैं। सागर का वैज्ञान

सेनानिनामहं स्कंद भगवान कार्तिकेय

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🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक कृष्णपक्ष प्रथमा शनिवार दिनांक २४.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉   सेनानीनामहं स्कन्दः कार्तिकेय बातू गुफाएँ  मलेशिया में भगववान मुरुगन की विश्व में सर्वाधिक  ऊंची प्रतिमा  स्थित है  जिसकी ऊंचाई 42.7 मीटर (140 फिट) है। राजा रविवर्मा द्वारा निर्मित #भगवान_कार्तिकेय_मुरगन का चित्र श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शन में प्रभु ने कहा है : #पुरोधसां_च_मुख्यं_मां_विद्धि_पार्थ_बृहस्पतिम्। #सेनानीनामहं_स्कन्दः_सरसामस्मि_सागरः॥ (भ ग१०/२४) अर्थात् : हे पार्थ ! पुरोहितोंमें यानी राजपुरोहितोंमें तू मुझे प्रधान पुरोहित बृहस्पति समझ क्योंकि वे ही इन्द्रके मुख्य पुरोहित हैं। सेनापतियोंमें मैं देवोंका सेनापति कार्तिकेय हूँ तथा सरोवरोंमें अर्थात् जो देवनिर्मित सरोवर हैं उनमें समुद्र हूँ। श्रीमद्भगवगिता में भगवान कहते है : #सेनानीनामहं_स्कन्दः सेनापतियों में देवताओं के सेनापति स्कंद अर्थात् शिव पार्वती के पुत्र कार्तिकेय मैं हुं। #देवसेनापति_कार्तिकेय_स्कंद शिव के पुत्र, देवताओं के सेनापति और युद्ध के देवता माने जाते हैं।

कार्त्तिक पूर्णिमा गुरुनानक जयंति

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक पूर्णिमा शुक्रवार दिनांक २३.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    कार्तिक पूर्णिमा, गुरुनानक जयंती प्रकाशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं एवं अभिनंदन। #कार्तिक_पूर्णिमा हिंदू धर्म  में पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष १२ पूर्णिमाएं होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर १३ हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को #त्रिपुरी_पूर्णिमा या #गंगास्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे #त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिवजी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ आदि करने से सांसारिक पाप और ताप का शमन होता है।

देवगुरु बृहस्पति

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🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल चौदशी गुरुवार दिनांक २२.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉     श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है : #पुरोधसां_च_मुख्यं_मां_विद्धि_पार्थ_बृहस्पतिम्। #सेनानीनामहं_स्कन्दः_सरसामस्मि_सागरः॥ (भ ग१०/२४) अर्थात् : हे पार्थ ! पुरोहितोंमें यानी राजपुरोहितोंमें तू मुझे प्रधान पुरोहित बृहस्पति समझ क्योंकि वे ही इन्द्रके मुख्य पुरोहित हैं। सेनापतियोंमें मैं देवोंका सेनापति कार्तिकेय हूँ तथा सरोवरोंमें अर्थात् जो देवनिर्मित सरोवर हैं उनमें समुद्र हूँ। श्रीमद्भगवगिता में भगवान कहते है #पुरोधसां_च_मुख्यंमां_विद्धि_पार्थ_बृहस्पतिम्। पुरोहितोंमें यानी राजपुरोहितोंमें तू मुझे प्रधान पुरोहित बृहस्पति समझ क्योंकि वे ही इन्द्रके मुख्य पुरोहित हैं। #ॐ_बृं_बृहस्पतये_नमः॥ #देवगुरु_बृहस्पति : ग्रह और देवताओं के गुरु हैं। ये नवग्रहों के समूह के नायक भी माने जाते हैं तभी इन्हें गणपति भी कहा जाता है। ये ज्ञान और वाग्मिता के देवता माने जाते हैं। इन्होंने ही बार्हस्पत्य सूत्र  की रचना की थी। इनका वर्ण सुवर्ण या पीला माना जा

ज्ञानं ज्ञानवतामहम्।

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🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी बुधवार दिनांक २१.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉   श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है : #दण्डो_दमयतामस्मि_नीतिरस्मि_जिगीषताम्। #मौनं_चैवास्मि_गुह्यानां_ज्ञानं_ज्ञानवतामहम् ॥ (भ ग १०/३८) अर्थात् : मैं दमन करनेवालोंका दण्ड (दमन करनेकी शक्ति) हूँ, जीतनेकी इच्छावालोंकी नीति हूँ, गुप्त रखनेयोग्य बातोंमें मौन हूँ और तत्त्वज्ञानीयों का ज्ञान हूँ। भगवद्गीता में भगवान कहते है #ज्ञानं_ज्ञानवतामहम् मैं तत्त्वज्ञानीयों का ज्ञान हूँ। ज्ञान की महत्ता भगवान ने और भी कहा है: #न_हि_ज्ञानेन_सदृशं_पवित्रमिह_विद्यते। #तत्स्वयं_योगसंसिद्धः_कालेनात्मनि_विन्दति॥ (भ ग ४/३८) अर्थात् : इस मनुष्यलोकमें ज्ञानके समान पवित्र करनेवाला दूसरा कोई साधन नहीं है। जिसका योग भलीभाँति सिद्ध हो गया है वह (कर्मयोगी) उस तत्त्वज्ञानको अवश्य ही स्वयं अपनेआपमें पा लेता है। #ज्ञान - बोध, जानना, जानकारी, विद्या। समान्यता आज माहिती-Information को ज्ञान कहा-समजा जाता है। समस्त सांसारिक व्यवहार सम्बंधित जानकारी को ज्ञान समजा जाता है

मौनं चैवास्मि गुह्यानां

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल द्वादशी मंगलवार दिनांक २०.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉     श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है : #दण्डो_दमयतामस्मि_नीतिरस्मि_जिगीषताम्। #मौनं_चैवास्मि_गुह्यानां_ज्ञानं_ज्ञानवतामहम्॥ (भ ग १०/३८) अर्थात् : मैं दमन करनेवालोंका दण्ड (दमन करनेकी शक्ति) हूँ, जीतनेकी इच्छावालोंकी नीति हूँ, गुप्त रखनेयोग्य बातोंमें मौन हूँ और तत्त्वज्ञानीयों का ज्ञान हूँ। भगवद्गीता में भगवान कहते है #मौनं_चैवास्मि_गुह्यानां गुप्त रखने योग्य बातोंमें मैं मौन हूँ। #मौन ध्यान की ऊर्जा और सत्य का द्वार है। मौन से जहाँ मन शांत होता है वहीं मौन से मन की ‍शक्ति भी बढ़ती है। मौन का अर्थ अन्दर और बाहर से चुप रहना है। आमतौर पर हम ‘मौन’ का अर्थ होंठों का ना चलना माना जाता है। यह बड़ा सीमित अर्थ है। मौन दो प्रकार के है। •वाणी से मौन  वाणी को वश में रखना, कम बोलना, नहीं बोलना, जरूरत के अनुसार शब्दोच्चार करना आदि वाणी के मौन कहे जाते हैं। •मन से मौन मन को स्थिर करना, मन में बुरे विचार नहीं लाना, अनात्म विचारों को हटा कर आत्म (अध्य

देव प्रबोधिनी एकादशी

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल प्रबोधिनी एकादशी सोमवार दिनांक १९.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉     प्रबोधिनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं एवं अभिनंदन। #देव_प्रबोधिनी_एकादशी : देवोत्थान एकादशी कार्तिक, शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। दीपावली के बाद आने वाली एकादशी को ही देवोत्थान एकादशी अथवा देवउठान एकादशी या 'प्रबोधिनी एकादशी' कहा जाता है। आषाढ़, शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि को देव शयन करते हैं और इस कार्तिक, शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। इसीलिए इसे देवोत्थान (देव-उठनी) एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, जो क्षीरसागर में सोए हुए थे, चार माह उपरान्त जागे थे। विष्णु जी के शयन काल के चार मासों में विवाहादि मांगलिक कार्यों का आयोजन करना निषेध है। हरि के जागने के बाद ही इस एकादशी से सभी शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं। भगवान विष्णु को चार मास की योग-निद्रा से जगाने के लिए घण्टा, शंख, मृदंग आदि वाद्यों की मांगलिक ध्वनि के बीचये श्लोक पढकर जगाते हैं : #उत्तिष्ठोत्तिष्ठगोविन्द_त्यजनिद्रांजगत्पते। #त्वयिसुप्तेजगन्नाथ_जगत्_सुप्तमिदंभवेत्॥

नीतिरस्मि जिगीषताम्

🙏सुप्रभात, कार्तिक शुक्ल दसमी रविवार दिनांक १८.११.२०१८🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉   श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शन में प्रभु ने कहा है : #दण्डो_दमयतामस्मि_नीतिरस्मि_जिगीषताम्। #मौनं_चैवास्मि_गुह्यानां_ज्ञानं_ज्ञानवतामहम्॥ (भ ग १०/३८) अर्थात् : मैं दमन करनेवालोंका दण्ड (दमन करनेकी शक्ति) हूँ, जीतनेकी इच्छावालोंकी नीति हूँ, गुप्त रखनेयोग्य बातोंमें मौन हूँ और तत्त्वज्ञानीयों का ज्ञान हूँ। भगवद्गीता में भगवान कहते है #नीतिरस्मि_जिगीषताम् जीतनेकी इच्छावालों की नीति हूं। ' नीतिरस्मि जिगीषताम्’- नीति का आश्रय लेने से ही मनुष्य विजय प्राप्त करता है और नीति से ही विजय ठहरती है। इसलिए नीति को भगवान ने अपनी विभूति बताया है। उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने की कला को नीति (Policy) कहते हैं। नीति, सोचसमझकर बनाये गये सिद्धान्तों की प्रणाली है जो उचित निर्णय लेने और सम्यक परिणाम पाने में मदद करती है। नीति में अभिप्राय का स्पष्ट उल्लेख होता है। #नीति : 1. उचित या ठीक रास्ते पर ले जाने या ले चलने की क्रिया या ढंग; नीतिशास्त्र 2. आचार-व्यवहार;

दण्डो_दमयतामस्मि

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल नवमी शनि दिनांक १७.११.२०१८ 🙏  🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शन में प्रभु ने कहा है : #दण्डो_दमयतामस्मि_नीतिरस्मि_जिगीषताम्। #मौनं_चैवास्मि_गुह्यानां_ज्ञानं_ज्ञानवतामहम्॥ (भ ग १०/३८) अर्थात् : मैं दमन करनेवालोंका दण्ड (दमन करनेकी शक्ति) हूँ, जीतनेकी इच्छावालोंकी नीति हूँ, गुप्त रखनेयोग्य बातोंमें मौन हूँ और तत्त्वज्ञानीयों का ज्ञान हूँ। भगवद्गीता में भगवान कहते है #दण्डो_दमयतामस्मि दमन करनेवालोंका मैं दण्ड हुँ। राजा, राज्य और छत्र की शक्ति और संप्रभुता का द्योतक और किसी अपराधी को उसके अपराध के निमित्त दी गयी सजा को दण्ड कहते हैं। एक दूसरे सन्दर्भ में, राजनीतिशास्त्र के चार उपायों -  #साम, #दाम, #दंड और #भेद  में एक उपाय दण्ड का शाब्दिक अर्थ #सजा #Law #डण्डा (छड़ी) है जिससे किसी को सजा के रूप में दंडित किया जाता है-पीटा जाता है। दण्ड की उत्पत्ति राज्यसंस्था की उत्पत्ति के साथ हुई। मनुस्मृति  और महाभारत  में यह कहा गया है कि मानव जाति की प्रारंभिक स्थिति अत्यंत पवित्र स्वभाव, दोषरहित कर्म, सत्

कवीनामुशना_कविः

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल अष्टमी शुक्रवार दिनांक १६.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉  श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है : #वृष्णीनां_वासुदेवोऽस्मि_पाण्डवानां_धनंजयः। #मुनीनामप्यहं_व्यासः_कवीनामुशना_कविः॥ (भ ग १०/३७) अर्थात् : वृष्णिवंशियोंमें वासुदेव और पाण्डवोंमें धनञ्जय मैं हूँ। मुनियोंमें वेदव्यास और कवियोंमें शुक्राचार्य भी मैं हूँ। भगवद्गीता में भगवान कहते है #कवीनामुशना_कविः कवियोंमें शुक्राचार्य भी मैं हूँ। आज योगानुयोग शुक्रवार को हम आसुराचार्य शुक्राचार्य का चिंतन कर रहे है। #अमंत्रं_अक्षरं_नास्ति_नास्ति_मूलं_अनौषधं। #अयोग्यः_पुरुषः_नास्ति_योजकः_तत्र_दुर्लभ:॥ - शुक्राचार्य (शुक्रनीति) अर्थात् : कोई अक्षर ऐसा नहीं है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरू होता हो, कोई ऐसा मूल (जड़) नहीं है, जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्य नहीं होता, उसको काम में लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं। #शुक्राचार्य एक रहस्यमयी ऋषि हैं। उनके बारे में लोग सिर्फ इतना ही जानते हैं कि वे असुरों के गुरु थे। शुक्राचार्य के संबंध में काशी खंड म

मुनीनामप्यहं_व्यासः

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल अष्टमी गुरुवार दिनांक १५.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है : #वृष्णीनां_वासुदेवोऽस्मि_पाण्डवानां_धनंजयः। #मुनीनामप्यहं_व्यासः_कवीनामुशना_कविः॥ (भ ग १०/३७) अर्थात् : वृष्णिवंशियोंमें वासुदेव और पाण्डवोंमें धनञ्जय मैं हूँ। मुनियोंमें वेदव्यास और कवियोंमें शुक्राचार्य भी मैं हूँ। भगवद्गीता में भगवान कहते है #मुनीनामप्यहं_व्यासः अर्थात मुनियों में वेद व्यास मैं हूं। #नारायणं_नमस्कृत्य_नरं_चैव_नरोत्तम:। #देवी_सरस्वती_व्यासं_ततो_जयमुदीरयेत॥ आदि पुरुष नारायण, नरों में उत्तम नर ऋषि, विद्या की देवी सरस्वती तथा महामुनि वेद व्यास जी को नमस्कार करके ही हमें महाभारत इत्यादि ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए। महर्षि वेदव्यास को भगवान का ही रूप माना जाता है, इन श्लोकों से यह सिद्ध होता है। ' अचतुर्वदनो ब्रह्मा ' - #अचतुर्वदनो_ब्रह्मा_द्विबाहुरपरो_हरिः। #अभाललोचनः_शम्भुर्भगवान्_बादरायणः॥ अर्थात् : उनके चार मुख नहीं, फिर भी जो ब्रह्मा है; दो बाहु है, फिर भी हरि (विष्णु) ह

पाण्डवानां_धनंजयः

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल सप्तमी बुधवार दिनांक १४.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉   श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शन में प्रभु ने कहा है : #वृष्णीनां_वासुदेवोऽस्मि_पाण्डवानां_धनंजयः। #मुनीनामप्यहं_व्यासः_कवीनामुशना_कविः॥ (भ ग १०/३७) अर्थात् : वृष्णिवंशियोंमें वासुदेव और पाण्डवोंमें धनञ्जय मैं हूँ। मुनियोंमें वेदव्यास और कवियोंमें शुक्राचार्य भी मैं हूँ। भगवद्गीता में भगवान कहते है #पाण्डवानां_धनंजयः पांडवों में मैं धनञ्जय हुँ। #धनञ्जय_अर्जुन महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक थे। महाराज पांडु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र और सबसे अच्छे धर्नुधारी थे। वे द्रोणाचार्य के श्रेष्ठ शिष्य थे। महाभारत का प्रसंग : अज्ञातवास के समय जब पांडव विराट नगर में अपनी पहचान छिपाकर रह रहे थे, तब दुर्योधन द्वारा विराट नगर पर आक्रमण किया गया। ऐसे में बृहन्नला के वेष में अर्जुन राजकुमार उत्तर के साथ कौरव सेना का सामना करने के लिए गए। पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र एक शमी वृक्ष पर छिपाकर रखे थे। युद्ध से पूर्व अर्जुन अस्त्र-शस्त्र लेने के लिए वृक्ष की ओर गए।

सत्त्वं_सत्त्ववतामहम्

🙏सुप्रभात, कार्तिकशुक्ल षष्टी मंगलवार दिनांक १३.११.२०१🙏 #सूर्योपासनाके_महापर्व_छठपूजा पर तेजस्वि जीवन की शुभकामनाएं एवं अभिनंदन 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शन में प्रभु ने कहा है : #द्यूतं_छलयतामस्मि_तेजस्तेजस्विनामहम्। #जयोऽस्मि_व्यवसायोऽस्मि_सत्त्वं_सत्त्ववतामहम्॥ (भ ग १०/३६) भावार्थ : छल करनेवालोंमें जो पासोंसे खेलना आदि द्यूत और तेजस्वियोंका मैं तेज हूँ। जीतनेवालोंका मैं विजय हूँ। निश्चय करनेवालोंका निश्चय (उद्यमशीलोंका उद्यम) हूँ और सत्त्वयुक्त पुरुषोंका अर्थात् सात्त्विक पुरुषोंका मैं सत्त्वगुण हूँ। श्रीमद् भगवद्गीता मे प्रभु ने कहा है #सत्त्वं_सत्त्ववतामहम् मैं सात्विक पुरुषों का सात्विक भाव हुं।              मानव मात्र के स्वभाव में तीन गुण होते हैं। सत्व गुण, रजो गुण और तमो गुण।              ★ जिसमें #सत्वगुण की प्रबलता होती हैं, वह सदैव सबके कल्याण के विषय में सोचते रहता है। ★ जिसमें #रजोगुण की प्रबलता होती हैं वह अपने बारे में ही सोचते रहता है ★ और जिसमें #तमोगुण की प्रबलता होती हैं उसमें आलस्य, प्रमाद,

तेजस्तेजस्विनामहम्

🙏 सुप्रभात, आज कार्तिकशुक्ल लाभपंचमी दिनांक १२.११.२०१८ 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉     तेजस्तेजस्विनामहम् श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवी संपदा एवं विभूतिदर्शन में प्रभु ने कहा है: #बीजं_मां_सर्वभूतानां_विद्धि_पार्थ_सनातनम्। #बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि_तेजस्तेजस्विनामहम्॥ (भ ग ७/१०) अर्थात् :  हे पार्थ! मुझे तू सब भूतोंका सनातन पुरातन बीज अर्थात् उनकी उत्पत्तिका मूल कारण जान। तथा मैं ही बुद्धिमानोंकी बुद्धि अर्थात् विवेकशक्ति और तेजस्वियों अर्थात् प्रभावशाली पुरुषोंका तेज प्रभाव हूँ। भगवद्गीता में भगवान कहते है #तेजस्तेजस्विनामहम्: मैं तेजस्वीओ का तेज हुं। भगवान सूर्य नारायण प्रत्यक्ष देव हैं।              #यदादित्यगतं_तेजो_जगद्भासयतेऽखिलम्। #यच्चन्द्रमसि_यच्चाग्नौ_तत्तेजो_विद्धि_मामकम्॥।(भ ग १५/१२) (अतः जो तेज सूर्य में स्थित होकर सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करता है तथा जो तेज चन्द्रमा में है और अग्नि में है? उस तेज को तुम मेरा ही जानो।) सूर्य नारायण का उदय होता है, तो संपूर्ण विश्व प्रकाशित हो जाता है। सूर्य नारायण हम से कुछ भी नहीं मांगते और हमें बिना मांगे ही अपन

बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि

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🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल चतुर्थी दिनांक ११.११.२०१८  🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शनमें प्रभु ने कहा है: #बीजं_मां_सर्वभूतानां_विद्धि_पार्थ_सनातनम्। #बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि_तेजस्तेजस्विनामहम्॥ (भ ग ७/१०) (अतः हे पार्थ मुझे तू सब भूतोंका सनातन पुरातन बीज अर्थात् उनकी उत्पत्तिका मूल कारण जान। तथा मैं ही बुद्धिमानोंकी बुद्धि अर्थात् विवेकशक्ति और तेजस्वियों अर्थात् प्रभावशाली पुरुषोंका तेज प्रभाव हूँ।) भगवान कहते है #बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि बुद्धिमानों की बुद्धि अर्थात विवेकशक्ति में हुँ : संसार के समस्त प्राणियों में श्रेष्ठ प्राणी मनुष्य ही है। मनुष्य के मानस की बड़ी शक्ति विवेक है, जिसके पीछे मन और बुद्धि की भूमिका शामिल है। मन को विचारों का पुंज कहा गया है। यह अपनी सोच से बाहरी दुनिया का अनुभव करता रहता है। जब मन सोच-विचारों को स्वीकार करता है तो इसका नियमन बुद्धि करती है, जिससे यह बुद्धि मन से जुड़ी हुई है। यही बुद्धि #सुमति और #कुमति दो रूपों वाली है। जो कर्म-क्रिया की प्रेरक है। बुद्धिमान व्यक्ति ही सुमति से

सनातन बीज

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🙏 सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल तृतीया शनिवार दिनांक १०.११.२०१८  🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉    #सनातन_बीज श्रीमद्भगवगिता में दैवी संपदा एवं विभूतिदर्शन में प्रभु ने कहा है : #बीजं_मां_सर्वभूतानां_विद्धि_पार्थ_सनातनम्। #बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि_तेजस्तेजस्विनामहम्॥ ( भ ग ७/१०) (अतः हे पार्थ मुझे तू सब भूतोंका सनातन पुरातन बीज अर्थात् उनकी उत्पत्तिका मूल कारण जान। तथा मैं ही बुद्धिमानोंकी बुद्धि अर्थात् विवेकशक्ति और तेजस्वियों अर्थात् प्रभावशाली पुरुषोंका तेज प्रभाव हूँ।) #सनातन_बीज #बीज अर्थात् : बीज - Seed याने बीज, वंश, मूल, संतान, वीर्य, संतति, उत्पत्ति, स्रोत, व्युत्पत्ति, मूल देश, सूत्र ★ ऐसी रचना जो साधारणतया गर्भाधान के बाद भ्रूण से विकसित होती है बीज कहलाती है। ★ ऐसा परिपक्व भ्रूण जिसमें एक पौधा छिपा होता है। और पौधों के आरंभिक पोषण के लिए खाद्य सामग्री हो तथा यह बीज कवच से ढका हो और अनुकूल परिस्थितियों में एक स्वस्थ पौधा देने में समर्थ हो, बीज कहलाता है। यहाँ बीज कहने का तात्पर्य संपूर्ण चराचर सृष्टि की निर्मिति, उत्पत्ति, मूल स्तोत्र भगवान स्वयं है।  #सृष

भाईदूज - यमद्वितीया

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🙏  सुप्रभात, आज कार्तिक शुक्ल भाईबीज  🙏 पांच पर्वो के महापर्व दीपावली महोत्सव की शृंखला के अंतिम भाई दूज पर्व पर शुभकामनाएं एवं अभिनंदन 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉     भाईदूज - यमद्वितीया   भाई दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। रक्षा बंधन की तरह भाई दूज का पर्व भी भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है। इसे #भाईबीज, #यम_द्वितीया, #भ्रातृ_द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। रक्षाबंधन में भाई अपनी बहन को सदैव उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं वहीं ' भाईदूज ' के मौके पर बहन अपने भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन यम देव अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन करने आये थे। यही कारण है कि इस दिन भाइयों का अपनी बहन के घर जाकर भोजन करना शुभ माना जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया यानी दीपावली के दूसरे दिन मनाये जाने वाले इस त्योहार के दौरान बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है। इसके बाद भाई शगुन के र

विक्रम संवत नुतनवर्ष, बलिप्रतिपदा, गौवर्धन पूजा

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🙏  सुप्रभात, आज विक्रम संवत २०७६ कार्तिक शुक्ल प्रथमा नुतनवर्ष दिनांक २८.१०.२०१९ रविवार 🕉 कृष्णं वंदे जगद्गुरूम् 🕉     गौवर्धन पूजा भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। दीपावली यह पांच पर्वों का महापर्व धनत्रयोदशी, कालीचौदस, दीपावली, वर्षप्रतिपदा, और भैयादूज मिलाकर #दीपमहोत्सव हैं। विक्रम संवत २०७६ नुतनवर्ष वर्षप्रतिपदा यह विक्रम संवत कालगणनाका आरंभ दिन है। ईसा पूर्व पहली शताब्दीमें शकोंने भारतपर आक्रमण किया। वर्तमान उज्जयिनी नगरीके राजा विक्रमादित्यने, मालवाके युवकोंको युद्धनिपुण बनाया। शकोंपर आक्रमण कर उन्हें देशसे निकाल भगाया एवं धर्माधिष्ठित साम्राज्य स्थापित किया। इस विजयके प्रतीकस्वरूप सम्राट विक्रमादित्यने विक्रम संवत् नामक कालगणना आरंभ की। यह संवत 57 ई.पू. आरम्भ होती है। इससे स्पष्ट होता है कि, कालगणनाकी संकल्पना भारतीय संस्कृतिमें कितनी पुरानी है। ईसा पूर्व कालमें संस्कृतिके वैभवकी, सर्वांगीण सभ्यताकी और एकछत्र राज्यव्यवस्थाकी यह एक निशानी है। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा वर्ष के साढेतीन प

दीपावली २०७४.(2018)

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🙏सुप्रभात, आज अश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या दीपावली दिनांक २७.१०.२०१९ रविवार 🕉 कृष्णं वंदे जगद्गुरूम् 🕉    भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। दीपावली यह पांच पर्वों का महापर्व धनत्रयोदशी, कालीचौदस, दीपावली, वर्षप्रतिपदा, और भैयादूज मिलाकर दीपमहोत्सव हैं। तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख,  बौद्ध  तथा जैन धर्म  के लोग भी उत्साह पूर्वक धामधुम से मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे भगवान महावीर निर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं। तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस  के रूप में मनाता है। लंका विजय पश्चात लंका का वैभव देख लक्ष्मण ने प्रभु श्रीराम से अनुनय किया कि हम इस स्वर्णमयी लंका में कुछ समय रह जाते है ! तब प्रभु ने कहा : अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥ श्रीराम बोले, लक्ष्मण, यह ठीक है कि लंका सचमुच स्वर्ग के समान आकर्षक है, प्राकृतिक सुषमा से भरपूर है, किंतु यह ध्यान रखना कि अपनी