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भारतरत्न की महिमा और महत्व

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हाल में स्वतंत्रतावीर विनायक दामोदर राव सावरकर को भारतरत्न देने पा सियासत चल रही है  !!! इतनाही नही भाजपा ने महाराष्ट्र चुनाव में अपने घोषणापत्र में इसे शामिल किया है ! तब कोंग्रेसियों को भगतसिंह सुखदेव राजगुरू की याद आ रही है ! क्या केवल एक स्वतंत्रता सैनानी को भारतरत्न से पुरष्कृत कर न्याय दिलवाने से हमारा गौरवशाली इतिहास सुधर जायेगा ? भारत की स्वतंत्रता और सनातन वैदिक संस्कृति के जतन के लिये सतत प्रयत्नशील रहकर सनातन परंपरा को आज तक जीवित रखने वाले इतिहास में गर्त अनगिनित बलिदानी और पराकर्मी राजा महाराजा, योद्धाओं और संत-महात्माओ न्याय मिल पायेगा ??? आजतक के वैश्विक इतिहास में अनेक प्रहारों के बाद भी हजारों सालों से अजेय रहने वाली हमारी सनातन हिंदु संस्कृति का गौरवशाली इतिहास है। वेदकाल से लेकर हमारा गौरवशाली इतिहास वेद उपनिषद, स्मृतिग्रन्थों में संकलित है। लेकिन कुटिल मैकॉले और उनसे प्रेरित कोंग्रेसी, वामपंथी और जिहादी विचारधारा वाले इतिहासकारो ने पिछले २५०० वर्षों का भृष्ट इतिहास इरादतन रचकर हिंदु समाज को कायर, दुर्बल, दीन-हीन लाचार बनाये रखने के लिये रचकर हमें पढ़ाय

हिमालय दर्शन

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॥ श्री ॥ अमरनाथ यात्रा सह  जम्मू-कश्मीर लेह लदाख हिमाचल प्रदेश यात्रा का प्रवास लेख एवं सचित्र माहितीसह वर्णन विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे जले चानले पवते शत्रुमध्ये। अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि गतिस्तवं गतिस्तवं त्वेमेका भवानि॥ तीर्थयात्रा   मानव जीवन विकास की प्रक्रिया है. जीवन जीना याने विकास करना. जीवन विकास के अनेक साधन है, माध्यम है. इनमेसे एक साधन है तीर्थयात्रा. जीवन विकासके लिए सतत गतिशीलता चाहिए. गति याने केवल दौडभाग नहीं परन्तु गति याने प्रगति,  विकास. हमारे दैनिक जीवनकी गतानुगतिकता से आई निरसताको दूर कर तीर्थयात्रा जीवनमें नई उर्जा और चैतन्य भरकर जीवनको प्रगतिशील बनाती है. हमारी सनातन वैदिक संस्कृतिमें तीर्थयात्राका महत्वपूर्ण स्थान है. भारतीय साधनामें तीर्थयात्राको भी एक साधना माना गया है. कोईभी पवित्र पावन स्थान तीर्थक्षेत्र कहलाता है. अवतारोंकी लीलाभूमि (अयोध्या, वृन्दावन, नवद्वीप), महापुरुषों के जन्मस्थान (लुम्बिनी, पोरबंदर, आपेगांव) महापुरुषोंके समाधिस्थल (आणंदी, अंजार, पोंडेचरी), पवित्र पर्वत (कैलास, गिरनार, शत्रुंजय संपूर्ण हिमालय), पवित्र नदियाँ