विभूति दर्शन ' ऋतुनाम कुसमाकर वसंत '
🙏 सुप्रभात, आज अश्विन कृष्ण पक्ष सप्तमी दिनांक ३१.१०.२०१८ बुधवार 🙏 🕉 #कृष्णं_वंदे_जगद्गुरूम् 🕉 वसंत ऋतु श्रीमद्भगवगिता में अपनी दैवीसंपदा एवं विभूति दर्शन में प्रभु ने कहा है : #बृहत्साम_तथा_साम्नां_गायत्री_छन्दसामहम्। #मासानां_मार्गशीर्षोऽहमृतूनां_कुसुमाकर:॥ (भ ग १०/३५) भावार्थ : गाई जानेवाली श्रुतियों में सामवेद के प्रकरणों में जो बृहत्साम नामक प्रधान प्रकरण है वह मैं हूँ। छन्दोंमें मैं गायत्री छन्द हूँ अर्थात् जो गायत्री आदि छन्दोबद्ध ऋचाएँ हैं उनमें गायत्री नामक ऋचा मैं हूँ। महीनोंमें मार्गशीर्ष नामक महीना और ऋतुओंमें बसन्त ऋतु मैं हूँ।) श्रीमद् भगवद्गीता मे प्रभु ने कहा है : #ऋतनाम्_कुसुमाकरः ऋतुओं में मैं वसंत ऋतु हुं। माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत की शुरुआत हो जाती है। वसंत का उत्सव प्रकृति की पूजा का उत्सव है। सदैव सुंदर दिखने वाली प्रकृति वसंत ऋतु में सोलह कलाओं में दीप्त हो उठती है। #यौवन_हमारे_जीवनका_मधुमास_वसंत है तो #वसंत_यह_सृष्टिका_यौवन है। वसंत ऋतु शीत ऋतु के बाद आती हैं। भारत में फरवरी - मार्च माह में इसका आगमन होत